यूपीएसएसएससी एआई की मदद से पकड़ा सॉल्वर गेंग, AI की मदद से UPSSSC रोकेगा पेपर लीक, एग्जाम में ऐसे धरे जाएंगे ‘मुन्ना भाई’, UP News: AI के फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी से धराशाई हुआ सॉल्वर गैंग, VDO की परीक्षा में बैठे 200 फर्जी कैंडिड, UP: Lekhpal Exam paper leak मामले में सॉल्वर गैंग ने 10 लाख रुपए में पेपर
वर्तमान समय में प्रतियोगी परीक्षाओं में बहुत शूटिंग होने लगी है| इसे रोकने के लिए सरकार ने कई प्रयास किए थे लेकिन में विफल रहे अब सरकार एआई की मदद से चीटिंग करने वाले सभी लोगों को पकड़ रही है| उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष सेवा चयन आयोग के चेयरमैन प्रवीण कुमार का कहना है कि पहले हम दूसरी तीसरी स्टेज प सॉल्वर गेंग को पकड़ पाते थे |
लेकिन अभी Ai की सहायता से हम फर्स्ट स्टेज पर ही सॉल्वर गेंग को पकड़ लेते हैं हमने लगभग 200 सॉल्वर गेंग को पकड़ा है In order to qualify for the (UPSSSC), you must meet certain requirements. बीते दिनों हुई ग्राम पंचायत अधिकारी प्रवेश परीक्षा में पकड़े गए 200 ‘मुन्ना भाई’ इसी बदलाव को नतीजा है. उत्तर प्रदेश चयन आयोग ने परीक्षाओ में क्या ऐसे बदलाव किए जिससे दावा किया जा रहा है अब पेपर लीक और साल्वर गैंग का धंधा बंद हो जाएगा.
4 तरीकों से होती है पेपर में चीटिंग
यूपी के कई जिलों में ग्राम पंचायत और ग्राम विकास अधिकारी भर्ती परीक्षा में लगभग 200 मुन्ना भाई को गिरिफ्तार किया है। पहले पेपर लीक करने वाले को थर्ड इस्तेज पर पकड़ा जाता था अर्थात पेपर लीक होने के बाद ही अपराधी को पकड़ा जाता था। लेकिन एआई की मदद से आप पहले स्टेज पर ही पकड़ लिया गया है।
पहला पेपर प्रारंभ होने से पहले जो पेपर आने वाला था वह लिख हो गया जिसे सॉल्वर गैंग द्वारा परीक्षा लक्ष्य तक पहुंचा जाएगा और कई केस में सरवर बैंक के लोग के विद्यार्थी की जगह बैठकर पेपर दे रहे थे। इसके अलावा 30 स्टेज में पेपर तो विद्यार्थी दे रहा है लेकिन उसे ब्लूटूथ डिवाइस की सहायता से बाहर बैठे आदमी की सहायता से उसे पेपर की संपूर्ण इंफॉर्मेशन दी जा रही है।
कैसे काम करता है AI का फेस रिकग्निशन सॉफ्टवेयर
Rajasthan News दरअसल, अभ्यर्थी आवेदन के साथ अपनी फोटो भी संलग्न करते हैं। परीक्षण आवेदकों की तस्वीरें उन्हें प्रदान किए गए प्रवेश पत्र पर भी मुद्रित होती हैं। जब अभ्यर्थी परीक्षा देने आता है तो उसकी आँख की पुतली ख़त्म हो जाती है। दूसरे शब्दों में, आईरिस पहचान एक स्वचालित बायोमेट्रिक पहचान प्रक्रिया है जो किसी व्यक्ति की रेटिना का उपयोग करती है।
उसके बाद डेटाबेस से मिलान करके चेहरे की पहचान सूचकांक प्राप्त किया जाता है। यदि मान्यता अनुपात 40% से कम है तो इसे बग माना जाता है। फिर उसके आधार डेटा का उपयोग करके संदिग्ध की पहचान की जाती है और उसके द्वारा सत्यापन किया जाता है। इसके बाद अगले चरण में कागजातों की जांच की जाती है। फिर, लिखित और शारीरिक परीक्षा के दौरान मिलान होता है|